1 - दयया सर्वभूतेषु संतुष्टया येन केन वा । सर्वेन्दृयोपशान्त्या च तुष्यत्याशु जनार्दनः ।। ( श्रीमद्भागवत ) जीव मात्र के प्रति दया, जो कुछ भी मिले उससे सन्तुष्टि, सभी इन्द्रियों का संयम इन तीन उपायों से परमात्मा शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं ।इन बातों को कार्यान्वित करने वाले पर भगवान कृपा करते हैं । संयम के बिना जीवन सरल नहीं हो सकता ।बिष को खाने से ही मनुष्य मर सकता है उसके चिन्तन से नहीं । किन्तु उपभोग न करते हुए भी बिषयो के चिन्तन मात्र से भी मनुष्य मरता है । अर्थात बिषय बिष से भी बुरे हैं । उनका बिषवत त्याग करना चाहिए । 2 - एक बार एक बेहद खूबसूरत महिला समुद्र के किनारे रेत पर टहल रही थी। समुद्र की लहरों के साथ कोई एक बहुत चमकदार पत्थर छोर पर आ गया महिला ने वह नायाब-सा दिखने वाला पत्थर उठा लिया। वह हीरा था। महिला ने चुपचाप उसे अपने पर्स में रख लिया। लेकिन उसके हाव-भाव पर बहुत फर्क नहीं पड़ा। पास में खड़ा एक बूढ़ा व्यक्ति बडे़ ही कौतूहल से यह सब देख रहा था। अचानक वह अपनी जगह से उठा और उस महिला की ओर बढ़ने लगा। महिला के पास जाकर उस बूढ़े व्यक्ति ने उसके सामने हाथ...